रविवार, 31 मई 2009

रिश्ता

मन का कहना मानके हमने
जीवन का रुख मोड़ दिया है
खुशियों की राहें चुन ली हैं
गम का दामन छोड़ दिया है
सूखी सी सुनसान राह को
हल्का सा एक मोड़ दिया है
बादल का चंचल, लहराता
आँचल सर पे ओढ़ दिया है
जबसे उम्मीदें जागी हैं
यास का हाथ मरोड़ दिया है
पतझड़ के साये में पली जो,
उन गलियों को छोड़ दिया है
हर सीमा को लाँघ चुके हैं
हर एक बंधन तोड़ दिया है
भूल चुके सब रिश्ते नाते,
ख़ुद से रिश्ता जोड़ दिया है

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