हर साज में तेरा नगमा है,
और नाम तेरा हर धड़कन में
हर फूल में तेरा चेहरा है,
और जिक्र तेरा हर गुलशन में
हर गीत में है आवाज तेरी
और तेरी अदाएं सावन में
ये दिन, ये रात, ये कायनात
सब खिलते हैं तेरे आँगन में
जो ख्वाब छुपा है पलकों में
जो खयाल उभरता है मन में
वो तू ही तो है, जिसका जलवा
रोशन है मेरी चितवन में
तेरा ही रूप नजर आए
जब जब मैं देखूँ दर्पण में
कुदरत ने खुशियाँ चुनचुनकर
भर दी हैं मेरे दामन में
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