रविवार, 31 जनवरी 2010

चाँद

चाँद में कोई प्रीतम देखे, चाँद में कोई सजनी देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद गगन के माथे कि बिंदी, सदियों से जो चमक रही है
चन्द्रकिरन की शीतलता से सजकर धरती दमक रही है
कोई रात को दुल्हन समझे, चाँद में उसकी डोली देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद किसी का राजदुलारा, चाँद किसी की आँख का तारा,
कोई चाँद को भाई समझे, कोई चाँद सी बेटी चाहे,
चाँद से जो भी रिश्ता जोड़ो, चाँद तो जो है, वोही देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद हो आधा या हो पूरा, रोटी की ही याद दिलाये,
खाली पेट कि भूख भला क्या चाँद का दूजा रूप दिखाए?
चाँद के दर पर जाकर चाहे छूकर उसको कोई देखे,
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे

मंगलवार, 19 जनवरी 2010

दिल का सफ़र




बस हाल ही में दिल ने दिल का सफ़र किया है
मुश्किल बडा था काम ये करना, मगर किया है

कुछ रेत ख़यालों की बिखरी हुई पडी है
बेजान आरजू की दीवार इक खडी है
जज़्बों के झरोखों में मकड़ी ने घर किया है

उम्मीद के महल जो गिरते हि जा रहे हैं
नाकामियों के बादल मंडराते आ रहे हैं
बेबस हवा के बस में सारा शहर किया है

टूटे हुए घरोंदे, रूठी हुई बहारें,
जलती जमीं को घेरे बढती हुई दरारें
अच्छे भले शहर को इक खंडहर किया है

ये दुआ है फिरसे इसकी तकदीर संवर जाए
कि बहार ता-क़यामत इस दिलमें ठहर जाए
मेरे रब, ये बयाबाँ अब उनकी नज़र किया है!!