हर इक मुस्कराहट के पीछे हैं आंसू
फसल आरजूओं की सींचे हैं आंसू
ये शबनम के कतरें, ये बरखा की बूँदें,
महल ज़िन्दगी है, दरीचे हैं आंसू
ये चेहरा छुपाता है एक और चेहरा,
हंसी सामने और पीछे हैं आंसू
न देखें कभी ये खुशी को खुशी से,
खुशी में भी आँखों को मीचे हैं आंसू
ये मोती जो बिखरे तो जर्रे बनेंगे,
ये अच्छा है, पलकों के पीछे हैं आंसू!
बता 'रूह' कैसे रहें दूर इनसे?
हम ही से हमें दूर खींचे हैं आंसू!