इस दिल के कोरे कागज़ पर कुछ लिखना चाहा,
लिख न सके
जो राज़ छुपा तेरी आंखों में, वो पढ़ना चाहा
पढ़ न सके
कुछ देर तुम्हारी राहों में जो बैठे रहे,
फिर चलते बने,
हमने तो मनाया लाख मगर वो बहार के मौसम
रुक न सके
गम की चिंगारी से हमने अपने दिल को
जलते देखा
आंखों में धुआं सा छाने लगा, अश्कों से शोले
बुझ न सके
ऐ 'रूह' तेरी खामोशी ने नाशाद किया,
बर्बाद किया
सब राज़ रहे दिल के दिल में, उनसे हम कुछ भी
कह न सके
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