इन आंखों से बहता हुआ हर कतरा तेरा दामन ढूंढे
तपती धूप में जलती हुई ये धरती अपना सावन ढूंढे
भोर भये भी घोर अंधेरा छाया रहे मेरे ही घर में
आशा की एक नयी किरन क्यों रोज पराया आंगन ढूंढें?
फूल स्वप्न के, प्रीत का धागा, मन ही मन में माला गूंथी
बन बन माला लेकर अपना प्रीतम कोई जोगन ढूंढें
जब भी देखूं, गम को छुपाकर खुशियों का ही अक्स दिखाए,
झांक झांक हर मन में मेरी छाया ऐसा दर्पन ढूंढें
कहीं अनोखा रासरंग है, कहीं मुरली की ध्वनितरंग है,
सदियों से प्यासी मीरा हर युग में अपना मोहन ढूंढें!
भोर भये भी घोर अंधेरा छाया रहे मेरे ही घर में
जवाब देंहटाएंआशा की एक नयी किरन क्यों रोज पराया आंगन ढूंढें?
बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये बधाई...
बहुत बेहतरीन गजल है
पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
वीनस केसरी