रविवार, 5 अप्रैल 2009

सरस्वती वंदना

मेरी यह रचना सरस्वती वंदना राग केदार में सजाई गयी है।

जयतु शारदे देवी, वीणा कर में साजे
शुभ्र वसन धारिणी माँ मयूर पर बिराजे

हे दयानिधान माते, मधुर धुन सुना दे
इस धरा को पावन कर स्वर्ग तू बना दे
वीणा के हर सुर से नादब्रम्ह जागे
शुभ्र वसन धारिणी माँ मयूर पर बिराजे

सुर, आलाप, काव्य, गान, सेवा ये हमारी
तेरा तुझको अर्पण, हम तो तेरे पुजारी
तेरी ज्ञानमहिमा से भुवनत्रय गाजे
शुभ्र वसन धारिणी माँ मयूर पर बिराजे

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