रविवार, 5 अप्रैल 2009

शिकायत

ऐ सनम तुझसे ही करते हैं शिकायत तेरी
हमको बर्बाद न कर दे कहीं चाहत तेरी

हम तो बस शाम-ओ-सहर याद तुझे करते हैं
बेवफ़ा तू है, भूल जाना है आदत तेरी

ले गया छीनके तू मुझसे मेरा सब्र-ओ-करार,
फिर भी ये दिल है के करता है इबादत तेरी

तेरे बन्दे हैं, तुझे अपना खुदा मानते हैं
अपनी हर साँस को समझा है इनायत तेरी

दिल तेरा, हम भी तेरे, जान तेरी, रूह तेरी,
दिल की धड़कन है मेरे पास अमानत तेरी

मैं ही हूँ तुझमें और तू ही बसा है मुझमें,
'रूह' अब तुझसे करें कैसे शिकायत तेरी?

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