रविवार, 5 अप्रैल 2009

जुनून

मर्ज़ लाइलाज है तो चारागर करेगा क्या?
हम भटकना चाहेंगे तो राहबर करेगा क्या?
ज़िन्दगी है सांसभर, उम्रभर की मौत है,
सांसभर न जी सका, उम्रभर करेगा क्या?
जिसको ढूंढता हुआ दर-ब-दर फिरा है तू,
वो बना है अजनबी, ढूंढकर करेगा क्या?
आजतक झुका नहीं जो किसीके सामने,
सजदा तेरा ना करे, तो वो सर करेगा क्या?
बुत बना रहे कोई, और कोई रहे ख़फा़,
ये सफर का हाल है, हमसफ़र करेगा क्या?
मौत जब करीब हो, ज़िन्दगी रकीब हो,
और दवा बने जहर, तो जहर करेगा क्या?
ख़ुद खुदा से पूछ ले 'रूह' ये तेरा जुनून
उस खुदा के दिल पे भी कुछ असर करेगा क्या?

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