गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

सनम


बूटेबूटेने कई बार पढा होगा सनम 
मेरा ख़त तेरे बगिचे में पडा होगा सनम 

लाख ढूंढा मैंने दिलको, है कहां तू हि बता
तूने शायद कहिं भूलेसे रखा होगा सनम 

फूल शाखों से उतर आये हैं दस्तक सुनकर 
तेरा क़ासिद लिये पैगाम खडा होगा सनम 

महकी महकी हैं फ़िजाएं, ये कहां की खुशबू ?
तेरे जूडे में नया फूल सजा होगा सनम 

इतना अपनासा वो लगता है, नहीं है फिर भी
भूलसे ग़ैर की किस्मत में गया होगा सनम 

अश्क जो तूने इन आंखोंसे उठाया था कभी,
वो नगीने सा अंगूठी में जडा होगा सनम !

ना हकीमों से बनी बात न काम आयी दुआ 
मर्ज़ ये है तो यकीनन ही दवा होगा सनम !

याद क्यों करते हैं हम उसको ख़ुदा से पहले ?
'रूह' कहती है  ख़ुदा से भी बडा होगा सनम !

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