
खुली किताब ज़िन्दगी, मगर नजर धुआँ धुआँ
पढोगे कैसे हमसफ़र मिटी हुई कहानियाँ?
लिखा था एक एक लफ़्ज आरजू़ के रंग से,
उडाए रंग वक़्त ने, गँवा दिया हर एक निशाँ
पढोगे कैसे हमसफ़र मिटी हुई कहानियाँ?
लिखा था एक एक लफ़्ज आरजू़ के रंग से,
उडाए रंग वक़्त ने, गँवा दिया हर एक निशाँ
जिगर के कुछ कलाम थे किताब में छुपे हुए,
सवाल कुछ, जवाब कुछ भटक रहे यहाँ वहाँ
सवाल कुछ, जवाब कुछ भटक रहे यहाँ वहाँ
खु़तू़त कुछ सम्हालके रखे हुए थे, जल गए
सबूत मिट गए मगर वजूद खू़न में रवां!
फटी किताब तार-तार है कटी पतंग सी
सबूत मिट गए मगर वजूद खू़न में रवां!
फटी किताब तार-तार है कटी पतंग सी
हवा उडाके ले गयी, पता नहीं गिरे कहाँ!
जरूर कुछ तो बात है कि 'रूह' की किताब का
हर एक हर्फ़ मिटके भी हिला रहा है आसमाँ!
बहुत खुब. बढीया
जवाब देंहटाएंसुरमयी रात ढलती जाती है , रुह गम से पिघलती जाती है
जवाब देंहटाएंतेरी झुल्फोसे प्यार कौन करे अब तेरा इंतजार कौन करे
तलत ने गायलेले हे गाणे याद आले
Bahut khubasurat hai.
जवाब देंहटाएंजरूर कुछ तो बात है कि 'रूह' की किताब का
जवाब देंहटाएंहर एक हर्फ़ मिटके भी हिला रहा है आसमाँ!
kya bat hai Kranteeji cha gayee aap.
kya baat hai...aavadalee khup khup aavadalee.
जवाब देंहटाएंबढ़िया
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