सोमवार, 30 मार्च 2009

हादसा

कैसे कोई बताये क्या हादसा हुआ है ?
बस जान लो के जीना नाकाम सा हुआ है
मासूम आरजूएं एक चोट से हैं घायल
फूलों का मुस्कुराना बेजान सा हुआ है
हर सिम्त मिल रहे हैं कुछ अजनबी से साये
एक खौफ़ से ये दिल कुछ बेजार सा हुआ है
जिस शौक के लिए हम मर मर के जी रहे थे,
वो शौक, वो जुनून अब इल्ज़ाम सा हुआ है
फिर से वोही बहारें शायद कभी न आयें
अब इस चमन का बचना दुश्वार सा हुआ है
ऐ रूह, जो हुआ वो मुश्किल है भूल जाना
तेरा नाम इस जहाँ में बदनाम सा हुआ है

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