रविवार, 31 जनवरी 2010

चाँद

चाँद में कोई प्रीतम देखे, चाँद में कोई सजनी देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद गगन के माथे कि बिंदी, सदियों से जो चमक रही है
चन्द्रकिरन की शीतलता से सजकर धरती दमक रही है
कोई रात को दुल्हन समझे, चाँद में उसकी डोली देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद किसी का राजदुलारा, चाँद किसी की आँख का तारा,
कोई चाँद को भाई समझे, कोई चाँद सी बेटी चाहे,
चाँद से जो भी रिश्ता जोड़ो, चाँद तो जो है, वोही देखे
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे


चाँद हो आधा या हो पूरा, रोटी की ही याद दिलाये,
खाली पेट कि भूख भला क्या चाँद का दूजा रूप दिखाए?
चाँद के दर पर जाकर चाहे छूकर उसको कोई देखे,
देखनेवाले जो भी देखे, मुफलिस चाँद में रोटी देखे

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