रविवार, 31 मई 2009

प्राणज्योत

हिन्दी केवल नहीं है भाषा,
हिन्दी भारत की शक्ति है
एक सूत्र में देश पिरोती,
यह जन-जन की अभिव्यक्ति है

हिन्दी भारत के कण-कण में,
हिन्दी भारत के जन-मन में
यह प्रयास हो हिन्दी गूंजे
अखिल विश्व के हर आँगन में

वैभवशाली भरतभूमि की
एक धरोहर है यह भाषा
इसकी गरिमा और बढाएं
हर मन में यही हो अभिलाषा

सूरदास, कबीर, तुलसी की
भक्ति में हिन्दी बहती है
विश्व में सबसे ऊंचा भारत,
भारत में हिन्दी रहती है

संस्कृति से, साहित्य, कला से
भरी हुई जो ओतप्रोत है,
गर्व है हमको इस भाषा पर,
यह भारत की प्राणज्योत है

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