tag:blogger.com,1999:blog-2674292252678718678.post5725268667448061171..comments2023-07-30T04:18:13.785-07:00Comments on रूह की शायरी: तलाशक्रांतिhttp://www.blogger.com/profile/11410192638657751817noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2674292252678718678.post-44080868838497164862009-06-07T10:31:43.808-07:002009-06-07T10:31:43.808-07:00भोर भये भी घोर अंधेरा छाया रहे मेरे ही घर में
आशा ...भोर भये भी घोर अंधेरा छाया रहे मेरे ही घर में<br />आशा की एक नयी किरन क्यों रोज पराया आंगन ढूंढें?<br /><br />बहुत उम्दा किस्म के शेरों के लिये बधाई...<br />बहुत बेहतरीन गजल है <br />पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद <br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.com