बुधवार, 15 जुलाई 2009

चला जा

बीते हुए लम्हों को भुलाता ही चला जा
जागे हुए जज्बों को सुलाता ही चला जा

मैं अपनी वफ़ाओंसे इबादत करुँ तेरी,
तू अपनी जफ़ाओंसे रुलाता ही चला जा

सजदे में सर झुकाया तो मैंने सुनी सदा,
काँटों में भी फूलों को खिलाता ही चला जा

मैं तुझको भूलने की करुँ लाख कोशिशें,
तू याद मुझे अपनी दिलाता ही चला जा

परवाना बनके दिल तेरी महफ़िल में आ गया
तू बनके शमा दिल को जलाता ही चला जा

हैं 'रूह' के सीने में अभी बाकी धड़कनें,
तू गम का जहर यूँही पिलाता ही चला जा